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गुणस्थान मीमांसा  - मुनिश्री राजकरण जी

गुणस्थान मीमांसा - मुनिश्री राजकरण जी

जैन तत्व दर्शन में गुणस्थान का बहुत बड़ा स्थान है अतः गुणस्थान क्या है इसका संक्षिप्त विवेचन यहाँ पर करना है। जैन सिद्धान्त दीपिका में आचार्य श्री तुलसी ने कहा है कि “आत्मनः क्रमिक विशुद्धि गुणस्थानम्” अर्थात् कर्मों के क्षय, क्षयोपशम और उपशम से पैदा होने वाले पवित्र आत्म-…

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जैन शास्त्रों में अष्ट मंगल